About School
परिचय सन् 1962 में भारत-चीन युद्ध के कारण जब देश की आर्थिक, शैक्षिक, व्यापारिक एवं सामाजिक व्यवस्थायें चरमरा रही थी, तब ऐसे समय में आवश्यकता थी एक ऐसे व्यक्तित्व की, जो निष्प्राण, निस्पंद ग्रामवासियों के हृदय में जागृति का संचार कर सके, उनके जीवन को एक नवप्रभात दे सके, ऐसी विषम परिस्थितियों में परमबद्धेय, शिक्षाऋषि, महान शिक्षाविद, प्रातः स्मरणीय स्व० श्री मेघनाथ सिंह शिशीदिया जी आशा की किरण के रूप में शिक्षा जगत के सूर्य के स्वरूप में अवतरित हुए। जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा, समाज सेवा को अर्पित कर दिया और अपने ननिहाल ऑचरुकतों में निर्धन, वंचित बच्चों के लिए अपने मामा रघुनाथ सिंह जी के नाम से 01 जून सन् 1965 में श्री भगवान सिंह के घेर में रघुनाथ सिंह स्मारक जूनियर हाई स्कूल की स्थापना की। काल चक्र चलता रहा। 23-11-1965 को विद्यालय को स्थावी मान्यता प्राप्त हुई। विद्यालय को हाई स्कूल विज्ञान वर्ग की मान्यता अप्रैल 1966 तथा साहित्यिक वर्ग की मान्यता मई 1966 में प्रदान की गई। सन् 1968 में विद्यालय अनुदान सूची में आया तथा विद्यालय में प्राइमरी-अनुभाग की मान्यता 1967-68 में मिली। विद्यालय को इण्टर साहित्यिक वर्ग की मान्यता 1969, एवं वैज्ञानिक वर्ग की मान्यता 1970 में हुई। विद्यालय में NCC सीनियर डिवीजन की स्वीकृति 06 जुलाई 1988 को तथा जूनियर डिवीजन की स्वीकृति 01 अगस्त 1989 को मिली। विद्यालय का प्रवन्धन सदैव से ही अनुशासित, शिक्षित, समाज सेवी, कर्मठ, धुन के पक्के प्रबन्धकों के हाथों में रहा है। इसी क्रम में वर्तमान में विद्यालय के प्रवन्धक श्री विशाल शिशौदिया जी एवं संरक्षक माननीय निशान्त शिशौदिया जी विद्यालय को अपना मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। जिनकी प्रेरणा से विद्यालय नित प्रतिदिन शिक्षा, चोल एवं अन्य क्रियाकलापों में सफलता के नये-नये कीर्तिमान एवं आयाम स्थापित कर रहा है। अनेक शिक्षा मनीषियों ने प्राचार्य के रूप में इस विद्यालय को कुशल नेतृत्व प्रदान किया है। वर्तमान में डा0 सन्तकुमार अपनी पूर्ण इच्छा शक्ति, बुद्धिमत्ता एवं योग्यता से विद्यालय का चहुमुखी विकास एवं गौरव को प्राप्त कराने का व्रत लेकर विद्यालय के विकास के लिये निरन्तर प्रयत्नशील एवं प्रतिवद्ध है और उनके कुशल नेतृत्व में विद्यालय के सभी सुयोग्य विद्वान एवं प्रतिभाशाली अध्यापकों तथा सभी निष्ठावान एवं कर्मठ कर्मचारियों का प्रमुख उद्देश्य विद्यालय को निरन्तर प्रगति तथा उन्नति के शिखर पर पहुँचाना है।